पटना टू सिंगरौली: इंडिया से भारत का सफर....
..... लोगों से सुनता हूं कि कुछ साल पहले तक सिंगरौली जैसे इलाकों में जब ट्रेन किसी रेल फाटक से गुजरती थी तो पहले ट्रेन का ड्राइवर उतर कर फाटक बंद करता था फिर फाटक गुजर जाने पर कोई सवारी या गार्ड उतर फाटक बंद कर देता और ट्रेन आगे बढ़ती। छोटे-छोटे स्टेशनों पर लोग उधर से गुजरने वाली इक्का-दुक्का एक्सप्रेस ट्रेनों को हाथ देकर रोकते, अपने संबंधियों के आने तक ट्रेन रोकने का अनुरोध करते, या फिर पूरा सामान उतारने तक ट्रेन को रोके रखने को कहते लोग। ट्रेन के ड्राइवर भी जानते कि आने-जाने के लिए यही ट्रेन सहारा है इसलिए बिना हड़बड़ी आराम से चलते थे। वैसे भी...
more... यहां के लोगों में भागम-भाग कम ही देखता हूं। जब से यहां आया हूं भूल जाता हूं कि कौन सा दिन है, क्या तारीख है, क्या महीना, क्या समय? समय मानों खुद दो- तीन दिन पीछे चल रहा हो। हमारी सरकारें इन सुस्त पड़ गयी जिंदगी की रफ्तार को विकास के सहारे दौड़ाना चाहती हैं। ऐसी भागमभाग, ऐसी दौड़ जो कोयले की अंधेरी गलियों में जाकर खत्म होती है। Source www.greenpeace.org
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