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उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने मंचों के बारे में जानकारियां प्रदान करनी होंगी जैसे उनका कानूनी नाम, मुख्यालयों / सभी शाखाओं के प्रमुख भौगोलिक पते, वेबसाइट का नाम व ब्यौरा और ग्राहक देखभाल व शिकायत अधिकारी का ई-मेल पता, फैक्स, लैंडलाइन और मोबाइल नंबर आदि। उन्हें रिटर्न, रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी और गारंटी, डिलीवरी और शिपमेंट, भुगतान के माध्यम, शिकायत निवारण तंत्र, भुगतान के तरीके, भुगतान के तरीकों की सुरक्षा, चार्ज-बैक विकल्प आदि से संबंधित जानकारी प्रदान करना आवश्यक है। इन नियमों के अंतर्गत ई-कॉमर्स संस्थाओं को पुष्टि के बाद ऑर्डर रद्द करने वाले उपभोक्ताओं पर रद्दीकरण शुल्क नहीं लगाना चाहिए, जब तक कि उनके द्वारा आदेशों को एकतरफा रद्द करने की स्थिति में उन्हें भी इसी तरह के शुल्क...
more... वहन करने पड़ रहे हों।
अगर कोई ई-कॉमर्स कंपनी आयातित वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री कर रही है तो इस स्थिति में उसे आयातक के नाम और विवरण का उल्लेख करना होगा। एक बाज़ार स्थान पर हर विक्रेता को बिक्री के लिए प्रस्तुत वस्तुओं और सेवाओं के मूल देश समेत सभी प्रासंगिक विवरण प्रदान करने होंगे जो कि उपभोक्ता को खरीद से पहले के चरण में एक सूचित निर्णय लेने में सक्षम करने के लिए आवश्यक हैं।
मंत्री महोदय ने कहा कि प्रत्येक ई-कॉमर्स संस्था को एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने और एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता हैजिसका नाम, पदनाम, संपर्क विवरण उस मंच पर प्रदर्शित होना आवश्यक है। ई-कॉमर्स संस्थाओं को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनका शिकायत अधिकारी 48 घंटों के भीतर किसी भी उपभोक्ता की शिकायत को स्वीकार कर ले और शिकायत प्राप्त होने की तारीख से एक महीने के भीतर उस शिकायत का निवारण कर दे।
उन्होंने कहा कि इन नियमों के उल्लंघन को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के तहत निपटा जाएगा। अनुचित व्यापार व्यवहार और भ्रामक विज्ञापनों को लेकर मुकदमे की स्थिति में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण कार्रवाई कर सकता है। किसी भी मुआवजे के लिए कोई उपभोक्ता उचित अधिकार क्षेत्र के उपभोक्ता आयोग से संपर्क कर सकता है।
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एसजी/एएम/एसकेजे/जीबी/डीसी
(रिलीज़ आईडी: 1641670) आगंतुक पटल : 157