हकीकत की पटरी पर कब दौड़ेगी सवालों की रेल
Dainik Dabang Dunia, Indore,12/03/2015
-घनश्याम राठौड़
बड़वानी। प्रदेश के अंतिम छोर पर बसा बड़वानी जिला आजादी के बाद से रेल आने का सपना संजोए बैठा है। यहां रेल लाने के लिए कई बार आवाज तो उठी, लेकिन ये आवाज कागजों में दबकर ही रह गई। सदन में सवालों की पटरी पर तो रेल कई बार...
more... दौड़ी लेकिन जमीनी हकीकत आज भी वही है। जिले से होकर गुजरने वाली रेल लाइन को अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है। सर्वे होने के बाद रेल लाइन के काम को मूर्तरूप देने में अभी कई रोड़े बाकी हैं। इस बार भी केंद्र सरकार ने रेल लाइन को बजट में तो शामिल किया है, लेकिन परियोजना की स्वीकृति नहीं होने से समय-सीमा ही निर्धारित नहीं हुई है। ऐसे में रेल आने की बाट जोहते ही यहां के लोगों के कई साल गुजरने वाले हैं।
डॉ. खंडेलवाल ने लगाई जनहित याचिका :-
बड़वानी के डॉ. ओपी खंडेलवाल अपने स्तर पर यहां रेल लाइन के लिए कागजी लड़ाई लड़ रहे हैं। डॉ. खंडेलवाल ने बताया खंडवा से धार व्हाया खरगोन-बड़वानी रेल लाइन के लिए दिसंबर 2010 में सर्वे हो चुका है। 2800 करोड़ रुपए की योजना है। इस लाइन से 40 लाख आदिवासी लाभान्वित होंगे। इसे लेकर डॉ. ओपी खंडेलवाल ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगा रखी है। इसकी अंतिम सुनवाई बाकी है। इसके बाद कुछ होने की उम्मीद जताई जा रही है।
रेल लाइन के लिए शिक्षक की लंबी लड़ाई :-
जिले के सेंधवा निवासी मनोज मराठे भी पिछले कई सालों से मनमाड़इंदौर रेल लाइन के लिए प्रयासरत हैं। पेशे से शिक्षक मनोज मराठे 1992 से रेल लाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। 2011 में इन्होंने इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सांसद ने भी मांगी जानकारी :-
खरगोन-बड़वानी सांसद सुभाष पटेल ने भी संसद सत्र में खरगोन-बड़वानी जिलों के लिए रेल लाइन बिछाए जाने संबंधी जानकारी पर सवाल पूछे थे। सांसद ने खरगोन-बड़वानी जिले में रेल लाइन बिछाने की योजना, चालू वित्तीय वर्ष में मनमाड़इंदौर व्हाया मऊ रेल बिछाने पर विचार और इसका कार्य कब तक होने की संभावना संबंधी सवाल किए थे। रेल मंत्रालय द्वारा जवाब दिया गया कि खरगोन सेंधवा के रास्ते खंडवा-नरडाना के बीच नई लाइन के लिए सर्वे 2004-05 में किया गया था। हालांकि परियोजना स्वीकृत नहीं हुई। मनमाड़-सेंधवा व्हाया मऊ रेल लाइन के संबंध में मंत्रालय से जवाब मिला है मालेगांव, धुले, सेंधवा और मऊ के रास्ते मनमाड़-इंदौर के सर्वेक्षण को 2015-16 के बजट में शामिल किया गया है, लेकिन परियोजना स्वीकृत नहीं होने से समय-सीमा निर्धारित नहीं हो सकी है।
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